ग्रंथालय (Library )
उदय प्रसाद उदय शासकीय पॉलीटेक्निक,दुर्ग
किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों सेबड़ी हसरत से तकती हैंमहीनों अब मुलाकातें नहीं होतीजो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थींअब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों परबड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है....... Gulzar
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